मेरे पसंदीदा में से - काव्य तथा शायरी


मेरे लिए तुम क्या हो, कौन हो

कैसे बताऊँ मैं तुम्हे, जीवन का तुम संगीत हो
तुम ज़िन्दगी तुम बंदगी, तुम रौशनी तुम ताजगी, तुम हर ख़ुशी तुम प्यार हो

आँखों में तुम यादों में तुम, सांसों में तुम आहों में तुम, नींदों में तुम ख़्वाबों में तुम
तुम हो मेरी हर बात में, तुम हो मेरे दिन रात में, तुम सुबह में तुम श्याम में, तुम सोच में तुम काम में
मेरे लिए पाना भी तुम, मेरे लिए खोना भी तुम, और हसना रोना भी तुम
जाऊं कहीं देखूं कहीं, तुम हो वहां, तुम हो वहीँ
कैसे बताऊँ ऐ मेरे लक्ष्य  -
मेरे लिए तुम धरम  हो, तुम ही मेरा अरमान  हो, तुम ही मेरी तकदीर  हो
चाहत हो मेरी,  सितारा हो,  नज़ारा हो |
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वक़्त  आने दे बतादेंगे तुझे ऐ-आसमा,
हम अभी से क्या बताये क्या हमारे दिल में है |
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कहिये  तो आसमाँ को ज़मीं पर उतार लाएँ,
मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिये |
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कामरान  यूँ था मेरा बख्त-ए-जवाँ कल रात को,
झुक रहा था मेरे दर पे आसमाँ कल रात को |
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बादल  को क्या ख़बर है कि बारिश की चाह में,
कैसे बुलंद-ओ-बाला शजर ख़ाक हो गए |
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ज़िंदगी  एक दौड़ है तो साँस फूलेगी ज़रूर,
या बदल मफहूम उस का या फिर फ़रियाद न कर |
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वक़्त  की क़ैद में ज़िन्दगी है मगर,
चंद घड़ियाँ यही हैं जो आज़ाद हैं,
इन को खो कर अभी जान -ए- जाँ,
उम्र भर न तरसते रहो |
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आज  वो हमसे जन्नत में टकरा गए
आज वो हमसे जन्नत में टकरा गए
और हमारे दिल से आवाज़ निकली
फितेह-मूह... तुसीं इथे वी  गए!!
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कुछ  रिश्ते अनजाने में हो जाते है,
पहले दिल फिर ज़िन्दगी से जुड़ जाते है,
कहते है उस दौर को दोस्ती,
जिसमे दिल से दिल न जाने कब मिल जाते हैं |
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काँटों  के बदले फूल क्या डोंगे,
आंसू के बदले ख़ुशी क्या डोंगे,
हम चाहते है आपसे उम्र भर दोस्ती,
हमारे इस सवाल का जवाब क्या दोगे ..
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चाँद  के लिए सितारे अनेक हाँ,
लेकिन सितारों के लिए चाँद एक है
आपके लिए तो हजारों होंगे,
लेकिन हमारे लिए आप एक हैं |
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वक़्त  के साथ बदल जाए
उसे प्यार नहीं कहते
मुसीबत से जो डर जाए
उसे यार नहीं कहते |
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ज़िन्दगी  की राहों में ऐसे मोड़ भी आते हैं
सावन के साथ-साथ यहाँ पतझड़ भी आते हैं
आसुओं के सागर में मोती भी मिलते हैं
जो उन्हें दूंद लेते हैं, वही ज़िन्दगी जी लेते हैं |
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येही  वफ़ा का सिलाह है, तो कोई बात नहीं
यह दर्द तुम ने दिया है, तो कोई बात नहीं
येही बोहत है के तुम देखते हो
साहिल से सफीना डूब रहा है, तो कोई बात नहीं |
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दिल  को मनाना  गर होता आसान
 करता किसी को यूं ये परेशान
तनहा न रहता भरी महफ़िल मैं
न होती वोह हालत जो हो न बयान |
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आँसु  को आँखों की देहलीज़ पर लाया  करो
अपने दिल की हालत किसी को बताया न करो
लोग मुठ्ठी भर नमक लिए घूमा करते हैं
अपने ज़ख़्म किसी को दिखाया न करो |
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कभी  शाख़-ओ-सब्ज़-ओ-बर्ग पर कभी गुँचा-ओ-गुल-ओ-ख़ार पर,
मैं चमन में चाहे जहाँ रहूँ मेरा हक है फसल-ए-बहार पर |
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कभी मैं यह सोचता हूँ
अगर ये पल मेरा आखरी होता
क्या मुझे गम और अफ़सोस होता ?
न मैंने जन्म लिया होता,
न माता पिता का ऋणी हुआ होता,
न भाई बहन के प्यार में लिप्त हुआ होता,
न दोस्त की तलाश में घूम रहा होता,
न कसमो वादों से दब गया होता,
न प्यार की तलाश में भटक रहा होता,
न हर पल उम्मीद में ठहर रहा होता,
न भूक प्यास से तड़प रहा होता,
न चोट खाके दर्द से रो रहा होता,
न किसी से मिलने की आशा में मन मचल रहा होता,
न अपनों से दूर जाने का डर उमर रहा होता,
कभी कभी सोचता हूँ .. ..