आध्यात्म का मार्ग

हम निंदा उसके सुधार के लिए करते है लेकिन अगर इस निंदा से उसके मन में उल्टा द्वेष भरने लगे तो हम कैसे सुधार सकेंगे।

आध्यात्म का मार्ग निंदा से नही आता। निंदा करते रहने से मन हमेशा अशांत रहेगा।

अगर आपकी पत्नी शत्रु जैसा व्यवहार करे तो याद रखना दोष उसमे नहीं। दोष आपके पूर्व जन्म के कर्म है। अब आप प्रेम और अच्छे व्यवहार से अपना आज और अगला जन्म अच्छा कर सकते है। पति या पत्नी की हर समय निंदा करने वाले कृष्ण भक्त नहीं हो सकते।

यह मार्ग कृष्ण ने आपकी शुद्धि करन के लिया लिखा है। जो मिला है उसको प्रसाद समझ कर ग्रहण करो। भक्ति में खुशी है और खुश जीवन ही भक्ति मार्ग प्रशस्त करेगा।

सत्य जरूर बोलना चाहिए। लेकिन सत्य के साथ ऐसा सत्य बोलना चाहिए की उसे अपनाया जा सके कम से कम तकलीफ से।

जो व्यक्ति भगवान के साथ जुड़ पाता है वो अन्य जीवात्मयो के प्रति चिंता दिखा पाता है। और जैसे जैसे उसका प्रेम भगवान से बढ़ता है वैसे ही उसका दूसरो के प्रति व्यवहार भी सुधरने लगता है।

क्योंकि भगवान की परिभाषा ही यही है की सब मनुष्य समान है। तो काहे को श्रेष्ठता और काहे को हीन भावना। वही बच्चा जिसे मां डांटती है, उसको मारती है वही बच्चा गले भी अपनी मां के जाकर लगता है।

कहते है छोटे बच्चे भगवान के रूप होते है, लेकिन मां, वो तो बच्चे हो या बूढ़े सबके लिए भगवान के रूप होती है।

"मैं बेहतर हूं "। ऐसी सोच रखकर हम दूसरो को correct करते रहे , एक दिन ऐसा आता है की हमे खुद correction की जरूरत होती है।

"पता नही था मेरे घर में ही इतना ज्ञान खजाना है" । मां से है मन की शांति। 

Humility is boldness .. boldness is humility.. 
दूसरे के अच्छे के लिए कुछ करना = विनम्रता है, सही रास्ते पे लाना, अपना समय देना, strong action लेना भी विनम्रता है। और इसके लिए प्रेम होना चाहिए, concern होना चाहिए।

कमजोर व्यक्ति विनम्रता को झुकने का नाम देते है। क्योंकि विनम्र वही हो सकते है जो बोल्ड है।

Time to let your happiness of winning overpower your fear of losing.. 

New Goal of life - to be a better and then the best version of myself.. 

1st step - अब किसी की निंदा नहीं और कोशिश यही की वैसे लोग / माहोल से बाहर रहूं।

PS: 
इन दिनों मुझे एहसास हो रहा है की माँ का स्थान कोई नहीं ले सकता। मेरी माँ मेरी सच्ची दोस्त भी। निःस्वार्थ भावना से मेरा ख्याल रखती है। हर समय मेरी बढ़ोतरी के लिए प्रार्थना करती है। सत्य है - ठोकर लगती है तोह दर्द होता है तभी मनुष्य सिख पता है । एक माँ ही है जो बिना कहे मेरा दर्द समझ, सब कुछ भुला,  मुझे हौसला और आगे बढ़ने की शक्ति देती है । ॐ ।